नई दिल्ली। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने अल्पसंख्यक समुदाय को गरीबी और जमीन पर दबाव कम करने के लिए जनसंख्या नियंत्रण उपायों को अपनाने की सलाह दी है। राज्य के स्वामित्व वाली भूमि को अतिक्रमण से मुक्त करने के लिए अपनी सरकार के अभियान की आलोचनाओं पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि मंदिरों, मठों और जंगलों से संबंधित भूमि पर अवैध कब्जे की अनुमति नहीं दी जा सकती है। निकाले गए लोगों में ज्यादातर बंगाली भाषी मुसलमान थे।
डॉ. सरमा ने गुरुवार को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के एक महीने के अवसर पर पत्रकारों से कहा, 'समुदाय के सदस्यों ने हमें आश्वासन दिया है कि वे इन जमीनों पर अतिक्रमण नहीं चाहते हैं।' उन्होंने कहा, 'कोई भी हमारा दुश्मन नहीं है और हम चाहते हैं कि हर समुदाय के गरीब लोग प्रगति करें लेकिन हमें सामुदायिक समर्थन की जरूरत है। सरकार की आलोचना करने के बजाय, AIUDF (ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट) और AAMSU (ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन) जैसे संगठनों को लोगों को छोटे परिवार रखने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
डॉ. सरमा ने अल्पसंख्यक समुदाय के सभी हितधारकों से आगे आने और गरीबी को कम करने और शिक्षा में सुधार करने में सरकार का समर्थन करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार परिवार नियोजन के मुद्दे से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए समुदाय की महिलाओं को शिक्षित करने की दिशा में काम करेगी। सरमा ने कहा, जनसंख्या गरीबी, भूमि अतिक्रमण जैसे सामाजिक खतरे की मुख्य जड़ है और हम इस सामाजिक खतरे को कम कर सकते हैं यदि जनसंख्या कम हो जाए।
बता दें कि हिमंत बिस्वा सरमा ने असम में बतौर मुख्यमंत्री अपना पहला महीना पूरा कर लिया है। मई की शुरुआत में असम विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जीत के बाद सरमा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
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