नई दिल्ली। इस साल का पहला वलयाकार सूर्य ग्रहण (Annular solar eclipse) खत्म हो गया है। सूर्य ग्रहण की यह घटना भारतीय समयानुसार दोपहर 01:42 बजे से शुरू हुई और शाम 06:41 पर खत्म। यह खगोलीय घटना नॉर्दन हेमिस्फीयर के कुछ हिस्सों में देखी गई। कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन के कुछ हिस्सों और सुदूर उत्तर के स्थानों में आंशिक ग्रहण दिखा। जबकि 'रिंग ऑफ फायर' केवल ग्रीनलैंड और एक्सट्रीम नॉर्थ लैटीट्यूड में देखा गया। भारत में सूर्य ग्रहण केवल लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में दिखाई दिया। यहां देखिए ग्रहण की कुछ शानदार तस्वीरें:
क्या होता है वलयाकार सूर्य ग्रहण?
सूर्य ग्रहण तब होता है जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है। वहीं वलयाकार सूर्य ग्रहण उसे कहते हैं जब चंद्रमा पृथ्वी से काफी दूर होते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में इस तरह से आ जाता है जिससे कि सूर्य के मध्य का पूरा भाग चंद्रमा की छाया से ढक जाता है लेकिन सूर्य का बाहर वाला क्षेत्र प्रकाशित रहता है। इस स्थिति में चंद्रमा सू्र्य के लगभग 97% भाग तक को ढक लेता है। इस घटना के दौरान धरती से सूर्य देखने में आग की अंगूठी की तरह चमकता दिखाई देता है। इसे रिंग ऑफ फायर भी कहते हैं।
दरअसल, चांद पृथ्वी के आसपास एक अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाता है। इस वजह से पृथ्वी से चांद की दूरी हमेशा घटती-बढ़ती रहती है। 10 जून को जब सूर्यग्रहण हुआ तब चांद पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूरी पर था। इसे साइंस की बाषा में एपोजी कहा जाता है। इस वजह से चांद का आकार सामान्य के मुकाबले कुछ छोटा दिखाई दिया। अपने इस छोटे आकार की वजह से चांद सूर्य को पूरी तरह ढंक नहीं पाया और चांद की सतह के किनारों से कुछ रोशनी धरती पर आती रही। धरती से देखने पर ये लाल गोले जैसी दिखाई दी।
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